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मंगलवार, 13 जनवरी 2009

घृणा और प्यार


घृणा और प्यार
कुछ लोगों को आदत होती है बात-बात में हेट यू और लव यू कहने की। वैसे लव यू बोलना तो मुंबई की बोलचाली भाषा में ही शामिल है। अब देखिए न जिसे खुश करना हो लव यू बोल दिया। लेकिन घृणा और प्यार का गहन अर्थ भी तो समझना होगा ना। किसी ने कभी मुझसे कह दिया कि लव यू और दूसरे दिन ही कह दिया हेट यू। क्या इतना कह देने से क्या वाकई मैं प्यार करने लायक या घृणा करने योग्य व्यक्ति बन गया। प्यार और घृणा दोनों हृदय की गहराइयों से किए जाते हैं। इन दोनों में ही गहराई होती है। इन्हें बोलचाली भाषा का अंग नहीं बनाया जा सकता। फिर भी पता नहीं क्यों कुछ लोग ऐसा करने की बार-बार गलती करते हैं। तो इन दो शब्दों ने मेरे जीवन के एक और अध्याय का खात्मा कर दिया। पता नहीं कितने और अध्याय शुरू होंगे और खत्म होंगे। भगवान सबको क्षमा करे।१३-१-०९

1 टिप्पणी:

बेनामी ने कहा…

sach kahate hai aap ,,,,,,
par yadi koi ye shabd kahe to uske bhi kuch bhavanaaye rahti hogi.par shayad aap samjhane ki koshish hi naa kiye ho to.