मिलिए कविता ताई येलपुरे से. वैसे तो वह दादा धाम प्रणेता श्री नरेन्द्र दादा की अर्द्धांगिनी हैं. लेकिन इससे अधिक वह दादा धाम का मुस्कुराता हुआ चेहरा हैं. करुणा की प्रतिमूर्ति. शांत, विश्वास से भरी हुई, सुखदायक आश्वासन और अनुग्रह की एक तस्वीर हैं. यदि श्री नरेन्द्र दादा दादाधाम के प्रमुख हैं, मस्तिष्क हैं तो कविता ताई दिल हैं.
लगभग हमेशा, दादा धाम की हर नई गतिविधि प्रणेता से शुरू होती है (यानी श्री नरेन्द्र दादा से). लेकिन इस बार मातृरूपेण कविता ताई ने सभी भक्तों को महिलाओं के साथ होने वाले अत्याचार के खिलाफ एक अभियान शुरू करने को प्रेरित किया है. उन्होंने जब पहली बार स्कूल जाने वाली लड़कियों के अमानवीय यौन उत्पीड़न के बारे में पढ़ा, उनके दयालु हृदय में दर्द, क्रोध और चिंता का भूचाल आ गया. और उन्हें इस अभियान के लिए दृढ़ संकल्पित किया. आँसू और सहानुभूति के परे कुछ रचनात्मक करने का संकल्प.
उन्होंने सभी भक्तों की एक बैठक बुलायी और उन्हें अपनी योजना से अवगत कराया. उनके विचार और कार्य योजना दोनों ही प्रशंसनीय हैं. उनका विचार है कि अबोध कन्याओं सहित सामान्य जनता अपनी व्यक्तिगत सुरक्षा के लिए सिर्फ पुलिस पर निर्भर नहीं रह सकती. लोगों को अपराध और हिंसा के खिलाफ एकजुट होना पड़ेगा. आवश्यकता सिर्फ जागरूकता की है. जब वे संभावित खतरे के प्रति जागरूक हो जाएंगे, वे सावधानी बरतने लगेंगे. वे अपराधों के खिलाफ लड़ने के लिए उपाय अपनाने लगेंगे.
कविता ताई की कार्य योजना का पहला भाग है- नागपुर शहर के प्रमुख चौराहों पर पथ नाट्य. पथ नाट्य उस स्थान से गुजरने वालों का ध्यान आकर्षित करेगा, साथ ही उन्होंने असामाजिक तत्वों के हमलों के खिलाफ तैयार होने का संदेश मिलेगा.
कुशल मार्गदर्शन के अंतर्गत पुरुष और महिला कलाकारों का दल पथ नाट्य के लिए गठित किया जा चुका है. यह दल शांति के संदेश वाहक रूप में कार्य करेगा. कविता ताई की आध्यात्मिक पृष्ठ भूमि ने उन्हें अमानवीय कृत्यों के कारणों के विश्लेषण के लिए सक्षम बनाता है. उनके अनुसार, मानसिक विकृति और आपराधिक मानसिकता मानसिक प्रदूषण को जन्म देती है. महिलाओं के खिलाफ अपराध पुरुषों के ऐसे ही मानसिक प्रदूषण का परिणाम है.
हालांकि, जागरूकता इसका उपचारात्मक उपाय है. उपचारात्मक भाग में पुरुषों के मानसिक कचरे को साफ करना भी शामिल है. उन्हें गंदे साहित्य, अश्लील फिल्मों और सेक्स को बढ़ावा देने वाली दवाओं के उत्तेजक विज्ञापन से बचना चाहिये. आचार-विचार, नैतिकता और सकारात्मक मूल्य की ओर रूझान उन्हें इनसे बचाएगा. आध्यात्मिकता भी पुरुषों के चरित्र निर्माण में भूमिका निबा सकता है. कविता ताई के प्रयास इसी दिशा में हैं.
कविता ताई ने सभी शांति प्रिय संगठनों, शैक्षणिक संस्थाओं, नागरी निकायों और सामान्य जनता से दादा धाम का पथनाट्य देखने और कलाकारों के इस दल को अपने क्षेत्र में आमंत्रित करने का आह्वान किया है. पथनाट्य निःशुल्क प्रस्तुत किये जाएंगे. यह जागरूकता के पहिये को गतिशील करने में मदद करेगा.