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शनिवार, 12 नवंबर 2011

शनि का राशि परिवर्तन- महासंयोग और परिवर्तन

दत्त गुरु ओम-दादा गुरु ओम।। ......  ओम् शं शनिश्चराय नमः ।।....

शनि साठ वर्षों में तीसरी बार अपनी उच्च राशि तुला में प्रवेश कर रहा है और इस सदी में तो पहली बार। 15 नवंबर 2011 से करीब तीन वर्ष तक शनि अपनी उच्च राशि तुला में रहेंगे। यह राशि परिर्वतन ज्योतिष जगत और उस आधार पर अपने भविष्य और कार्यक्रमों की योजना बनाने वालों के लिए हमेशा विचारणीय रहा है। इनका परिर्वतन चराचर जगत के सभी प्राणियों को प्रभावित करता है।

9 सितंबर 2009 को शनि ने कन्या राशि में प्रवेश किया था। उससे पहले 6 अक्टूबर 1982 को शनि ने तुला राशि में प्रवेश किया था। अब आने वाले सालों में 2041 में शनि देव फिर से तुला राशि में आएंगे।  सौ सालों बाद शनि देव का दुर्लभ महासंयोग बन रहा है। अब सबकुछ बदलने वाला है क्योंकि शनि देव का स्वभाव बदलाव करना होता है। इसी महीने 15 नवंबर को सुबह 10 बजकर 10 मिनट पर शनि देव राशि बदलेंगे और कन्या से तुला राशि में प्रवेश करेंगे और 2 नवंबर 2014 तक इसी राशि में रहेंगे। 

दुर्लभ महासंयोगः इस साल की शुरुआत शनिवार से हुई थी और इस साल का आखिरी दिन भी शनिवार ही है। हिन्दु पंचांगो के अनुसार अभी क्रोधी नाम का संवत्सर चल रहा है इसके  स्वामी शनि देव है। कई विद्वानों के अनुसार डेढ़ सौ साल पहले ऐसा हुआ था कि शनि अपने ही संवत्सर में अपनी उच्च राशि में आया था । तुला राशि शनि की उच्च राशि है ये शनिदेव का प्रिय स्थान होता है। इस राशि में होने से शनि देव शुभ फल देने वाला रहेगा। शनि देव के बदलने से लोगों की सोच में सकारात्मक बदलाव आएंगे। " क्रोधी " संवत्सर में शनि के उच्च राशि में आने से हर काम का तेजी से असर होगा। इस भागदौड़ भरी जिंदगी में लोग रूक कर शांति से निर्णय लेंगे। शनिदेव न्यायप्रिय है इसलिए न्यायपालिका की व्यवस्था बदलेगी। सुखद बदलाव देखने को मिलेंगे। भ्रष्टाचार खत्म हो जाएगा। गरीब देशों की अर्थव्यवस्था सुधरेगी। शनिदेव भारत को बदल देंगे।
 
शनि की यात्राः खगोलविज्ञान की दृष्टि से शनि 1 लाख, 20 हजार, 500 किमी व्यास वाला दूसरा बड़ा ग्रह है। दस किमी प्रति सेकंड की गति से यह ग्रह सूर्य से करीब डेढ़ अरब किमी दूर रहते हुए 29 वर्ष में एक चक्कर लगाता है। फलित ज्योतिष के अनुसार यह पृथ्वी पर और सौरमंडल में आने वाले सभी जड़चेतन पदार्थों को इस तरह प्रभावित करता है कि वह साफ दिखाई दे शास्त्रों के अनुसार शनि भगवान सूर्य और माता छाया के पुत्र हैं। इनके भाई यम देव ने शिव की दस हजार वर्षों तक तपस्या कर पितृलोक का राज्य और मरणोपंरात दंड देने का अधिकार प्राप्त किया था।

शनि को इसी लोक में प्राणियों को जीते जी उनके कर्मों का दंड पुरस्कार देने का अधिकार पहले से प्राप्त था। क्योंकि न्याय के मामले में शनि देव को बहुत कठोर दंड देने वाला न्यायाधीश माना गया है।

फलित ज्योतिष में शनि का शरीर लंबा, आंखें लाल और भूरे रंग की, दांत बड़े बड़े, केश कड़े, और आकृति डरावनी बताई गई है। ये मकर पृथ्वी तत्व और कुंभ वायु तत्व राशि के स्वामी होते हैं। मेष राशि में नीच और तुला राशि में उच्च होते हैं। शुक्र और बुध से शनि मित्रवत भाव रखते हैं। सूर्य, मंगल और चंद्रमा को अपने शत्रु मानते हैं। और गुरु के प्रति उदासीन रहते हैं। इनके दस वाहन बताए गए हैं। जिनमें अश्व, गज, हिरन कुकुर, सियार, सिंह कौआ, और गिद्ध हैं। इनमें गिद्ध को प्रधान वाहन माना है।

आध्यात्म ज्योतष में गिद्ध शब्द ता अर्थ अत्यधिक लोलुपता, वासना तृप्ति की व्यग्रता, ऐंद्रिय भोग की आतुरता और इन सबमें अतृप्ति का अनुभव हो। गिद्ध को शनि का वाहन माना है। अध्यात्म ज्योतिष में गिद्ध शब्द का अर्थ अत्यधिक लोलुपता, वासना तृप्ति की व्यग्रता, भोग की आतुरता और इन सबमें अतृप्ति का अनुभव है। गिद्ध को शनि का वाहन बनाने का उद्देश्य अतृप्त वासनाओं द्वारा शनि के मूल लक्ष्य की प्राप्ति और आध्यात्मिक दायित्व की सिद्धि है। शनि के प्रभाव से श्मशान वैराग्य होता है।

जिस किसी भी राशि पर शनि देव विचरण करते हैं, उस राशि सहित पिछली और अगली राशि पर इनकी साढ़ेसाती का प्रभाव रहता है। इस तरह एक राशि पर साढ़े सात वर्ष तक शनि का अच्छा बुरा प्रभाव होता है। वैसे सामान्य दिनों में भी शनि सभी जातकों को उनके जन्म नक्षत्रों के अनुसार दंडित और पुरस्कृत करता रहता है। लेकिन इस चक्र में लगभग तीस वर्ष के अंतर से बड़ा बदलाव आता है। 15 नवंबर से आ रहा परिर्वतन का दौर उसी तरह का है।

अपनी साढ़ेसात वर्ष की इस यात्रा के दौरान शनि ये जातक को दो हजार दिनों तक प्रभावित करते हैं। इस अवधि में 700 दिन तक कष्टकारी, इतने ही दिन दारुण दुख देने वाले और बाकी दिन अनुकूल समझे जाते हैं। जातकों से अपेक्षा की जाती है कि वे ग्रहों की स्थिति को ध्यान में रखते हुए अपने आचार विचार को संतुलित और संयमित रखें पिछले कर्मों के दंड विधान में तो कोई कोताही नहीं है। लेकिन अपने आचार विचार को शुद्ध सात्विक रखकर दंड की कठोरता को कुछ नरम किया जा सकता है।

ज्योतिष शास्त्र के अनुसार आरंभ में 100 दिन तक साढ़ेसाती प्राणी के मुख रहती है। इन दिनों वाणी पर नियंत्रण रखना चाहिए। मुख और गले से संबधित विकार से बचें। बाद में शनि का प्रभाव दाहिनी भुजा, सीना, पेट और बाईं भुजा पर होते हुए मस्तक तक जाता है। वहां से एकदम शरीर के निचले हिस्सों पर साढ़े साती का प्रभाव होता है। यह प्रभाव जातक के अच्छे बुरे कर्मों के अनुसार दंड का विधान करता है। दंड का विधान इसलिए कि भूल चूक तो सभी से होती है।

अनजाने हुई हो तो भी उसका दंड तो मिलेगा ही, कांटे पर जानबूझकर पैर रखें या अनजाने में चुभेगा तो सही। सत्कर्म का पुरस्कार यह है कि बुरे कर्मों का दंड मिलते समय विधि का विधान उपचार और पथ्य की व्यवस्था भी करता चलता है। इसलिए शनि का प्रभाव परेशान करने के बजाय पुरस्कृत करता प्रतीत होता है।

राशियों पर प्रभाव
15 नंवबर के बाद शनि की स्थिति के अनुसार विभिन्न राशियों (जन्म के अनुसार) का हाल

मेष - सातवें शनि जीवन साथी से और ज्यादा प्रेमपूर्ण होने की प्रेरणा देते हैं। दोनों एक दूसरे के लिए भाग्यवर्धक रहेंगे। धर्म कार्यों में रुचि बढ़ेगी।
वृषभ - पर्याप्त आमदनी की संभावना है, लेकिन खर्च में सावधानी बरतें। मुकदमों और प्रशासनिक कामों में सफलता मिलेगी। संपर्क क्षेत्र बढ़ेगा।

मिथुन - कठिन परिश्रम के लिए तैयार रहें। बाधाओं को पार कर सकेंगे। आपसी व्यवहार में सद्भावपूर्ण रहें। जरूरतमंदों की मदद करते रहें।

कर्क - शनि की ढय्या भी होगी। अपने कार्य को ईमानदारी से करेंगे तो वांछित सफलता मिलेगी। शनिस्तोत्त्र अथवा शनि कवच का पाठ करें।

सिंह -जातक शनि की साढ़ेसाती से मुक्त हो रहे हैं। सभी रुकावटें दूर होंगी। संभावनाओं के नए क्षितिज खुलेंगे। अवसर का सदुपयोग करें।

कन्या - आकस्मिक धनलाभ का योग बन रहा है। अप्रत्याशित परिणाम सामने आएंगे। धर्म पर अडिग रहें। सफलता का मार्ग प्रशस्त होगा।

तुला - आपके जीवन में नई भूमिका की शुरुआत होगी। मकान, वाहन और और भौतिक सुखों की प्राप्ति होगी। मान प्रतिष्ठा की भारी वृद्धि होगी।

वृश्चिक - खर्च बढ़ेगा। इसी वर्ष साढ़ेसाती का आरंभ भी होगा। स्वास्थ्य पर ध्यान दें। शनिवार को पीपल की आराधना से ऊर्जा मिलेगी।

धनु- कामयाबी के मार्ग में आने वाली रुकावटें दूर होंगी। बड़े भाइयों संतान के प्रति आदर सत्कार का भाव रखें। पद और गरिमा बढेगी।

मकर - अच्छे परिर्वतन और फेरबदल की संभावना है। सफलताओं का सिलसिला शुरू होगा। माता पिता के स्वास्थ्य का ध्यान रखें।

कुंभ - धर्म और आध्यात्म की तरफ रुझान बढ़ेगा। जिम्मेदारियां बढ़ेंगी। परिवार में सामंजस्य बनाएं। परेशानियां आएंगी तो आसानी से चली जाएंगी।

मीन - शनि की ढैय्या आरंभ हो रही है। चुनौतिपूर्ण जिम्मेदारियों के लिए तैयार रहें। उन्नति के नए अवसर मिलने की संभावना है।

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