राजनीति की दहकती भट्टी मे शीतल मंद बयार
नागपुर से लोकसभा के प्रत्याशी और भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नितिन गडकरी को विकास पुरुष के नाम से जाना जाता है. इसका कारण है कि उन्होंने विकास को लोकतांत्रिक बनाया है. विकास को आम जनता तक पहुंचाया है.
विकास पुरुष की उनकी इमेज में उनका विजनरी परफार्मर होना काफी सहायक रहा है. गडकरी विजनरी परफार्मर हैं. मैंने फेसबुक के एक कमेंट में लिखा था कि आम आदमी पार्टी के लोग एक्टिविस्ट हैं. यानी ये लोग बुराई के खिलाफ आवाज उठाते हैं. जबकि नितिन गडकरी विजनरी परफार्मर हैं. विजनरी इसलिए क्योंकि इनके पास विजन है (यही कारण है इन्हें भाजपा की राष्ट्रीय विजन समिति का अध्यक्ष बनाया गया है). विजन है, सोच है और सिर्फ सोच ही नहीं है बल्कि इस सोच को कार्यरूप में परिणित करने का माद्दा भी है.
समस्या का समाधान खोजते हैं
नितिन गडकरी कभी समस्या पर अधिक चर्चा नहीं करते. जब उन्हें कोई अपनी समस्या बताता है तो उनका ध्यान तुरंत समस्या के समाधान की ओर चला जाता है. जैसे किसी को हार्ट के ऑपरेशन के लिए पैसे चाहिए. गडकरी तुरंत किसी डॉक्टर को फोन कर देंगे और सामने वाली की समस्या का हल हो जाएगा. राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ के निकट रहते और इसे स्वीकार करते हुए गडकरी ने नागपुर शहर में जाति-धर्म की दीवार तोड़ी. हजारों मुसलमानों, गरीबों के हार्ट का ऑपरेशन, आंखों का ऑपरेशन अलग-अलग योजनाएँ बना कर कराया.
दूर की सोच और उसका क्रियान्वयन
पूर्ति उद्योग समूह, जिस कारण गडकरी पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे, सोच को कार्यरूप में परिणित करने का सबसे बड़ा उदाहरण है. गडकरी खामोशी से कई बड़ी क्रांतियों के जनक रहे हैं. जब वे महाराष्ट्र के पीडब्ल्यूडी मिनिस्टर थे, उस समय सिविल इंजीनियरों की बेरोजगारी को दूर करने के लिए हजारों युवाओं को ठेकेदार बना दिया. सिर्फ मार्गदर्शन ही नहीं किया बल्कि उन्हें काम भी दिलाया और काम करने के लिए धन दिलाने में भी मदद की. यही सिलसिला पूर्ति उद्योग समूह में चला. एक बंद पड़ा शक्कर कारखाना लिया. किसानों को उसमें शेयर होल्डर बनाया. उनसे गन्ने की खेती कराई, गन्ना लगाने के धन उपलब्ध कराया, पूरा गन्ना खरीदा. आज हजारों किसानों की माली हालत इस कारण सुधर गई है. शक्कर कारखाने के वेस्ट से अल्कोहल बनाना और गन्ने की रद्दी से गत्ते बनाना. यानी हींग लगे न फिटकरी रंग चोखा-चोखा.