गुरुवार, 22 जुलाई 2010
6 Signs of Sixth Sense
Let’s consider six signs that might mean you should polish your sensitivities and talents:
1. You’re more than casually tuned in to energies. You feel a pressing need to call a friend. You find out the friend needs help or was thinking about you. When your phone rings, you know who’s calling. If you seem totally tuned in, you might want to start a journal to track your “coincidences.”
2. You score well on the Zener test. In the 1930s, psychologist Karl Zener created a set of cards to test ESP. Though some experts criticize the test, it can measure strong clairvoyant skill. Read more about it or experiment with the online Zener test. Very high scores are noteworthy.
3. You see beyond visual cues. If you lose your keys, can you mentally envision where they are? Are you right most of the time? Do you know what someone is doing even when you’re away from them? Can you enter a building and perceive specific images of events that happened in the past, or feel events of the future with clarity?
4. You’re more tuned in to your body, mind, and soul than most people are. You knew, without a doubt, that you were pregnant before you took a test. Perhaps you know exactly what your body needs when things don’t feel right. You sometimes think you see hints of color around various parts of your body, and you know when there’s something you must do about them.
5. You sometimes feel unexplainably unwell, maybe nauseated. Later, you’ll learn something major happened to a loved one. I’ve tracked this for years, and it’s unfailing. I knew when my uncle passed. When my son was in a hurricane, I felt his peril. Notice your physical reactions. Note how often they connect to incidents you weren’t aware of. Are you like me?
6. You body/mind/soul energy is extraordinarily positive. When trouble looms, or you feel blue, or it’s a terrible day, you see beyond that. You understand completely that we must experience negatives in order to appreciate positives. You feel sad or down sometimes, like everyone else, but it just never leaves you permanently marked. You feel uplifted most of the time.
गुरुवार, 8 जुलाई 2010
अचेतन मन खोलता है अनन्त रहस्यों के द्वार
मनुष्य चेतन और अचेतन दो मन की शक्तियों से कार्य करता है. चेतन मन की शक्ति सीमित हैं जबकि अचेतन मन की शक्तियां असीमित हैं. विश्व में आज हिंसा, डर, क्रोध, घृणा, ईर्ष्या, असुरक्षा और बदले की जो भावना दिखाई देती है. उसकी वजह अचेतन में छिपे नकारात्मक विचार हैं.
व्यक्ति जब इन नकारात्मक विचारों को अचेतन मन में ही दबाकर रखता है और उन्हें बाहर निकलने का रास्ता नहीं देता है तो शरीर की रासायनिक प्रक्रिया को विषाक्त करके तनाव, चिंता, हृदय रोग, अल्सर आदि रोगों के रूप में ये शरीर में प्रकट होने लगते हैं. आज प्रत्येक व्यक्ति नकारात्मक सोच से खुद को नुकसान पहुंचा रहा है. क्रोध के बाहर निकलते आवेग को न जाने कितने बार उसने दबाया है.
चेतन मन की शक्ति बारह प्रतिशत से ज्यादा नहीं है जबकि अचेतन मन 88 प्रतिशत शक्ति रखता है. मनुष्य केवल चेतन मन की शक्ति से काम लेता है. यदि वह योग गुरुओं से अचेतन मन की शक्ति का का प्रयोग करने की विधि सीख लेता है तो अनन्त उपलब्धियां उसके कदमों को चूम सकती हैं.
अचेतन मन न तो कभी सोता है और न ही आराम करता है. दिल की धड़कन, रक्त संचार, पाचन और उत्सर्जन क्रिया में उसी की भूमिका रहती है. अचेतन मन में ध्यान प्रक्रिया के माध्यम से व्यक्ति अपने जीवन की जो तस्वीर उतारता है, उसी तरह की घटनाएं हमारे जीवन में होने लगती हैं.
व्यक्ति को ध्यान साधना के जरिए जब चेतन से अचेतन की यात्रा कराई जाती है, तो योग गुरु उसे अचेतन मन में सदैव सकारात्मक सोच ले जाने का निर्देश देते हैं. जैसे- मेरा शरीर सदा निरोगी रहे, जीवन में समृद्धि आए... आदि. अचेतन मन को जो भी निर्देश दिए जाते हैं, उसे वह तुरन्त स्वीकार कर लेता है.
अचेतन मन में असीमित ज्ञान और बुद्धिमत्ता है. इस पर अच्छे या बुरे, जिस भी विचार की छाप व्यक्ति छोड़ता है, वह साकार होकर उसके जीवन में आने लगता है. इसलिए व्यक्ति को हमेशा सकारात्मक विचारों की छाप ही अचेतन मन पर छोड़नी चाहिए. चिंता, डर, तनाव और निराशा हृदय, फेफड़ों, आमाशय और आंतों की सामान्य कार्यप्रणाली की गति को बाधित करते हैं. तनाव पैदा करने वाले विचार अचेतन मन के सांमजस्यपूर्ण कार्य में बाधा डालते हैं.
प्रत्येक व्यक्ति का जीवन उसके विचारों की प्रकृति के अनुरूप प्रवाहित होता है. सकारात्मक विचारों से अचेतन मन की नकारात्मकता के विचार मिट जाया करते हैं और उपचारक शक्ति स्वास्थ्य, सुख और शांति के रूप में व्यक्ति के शरीर में प्रवाहित होने लगती है. स्वास्थ्य के विचारों को अचेतन में प्रवाहित करके मनचाहा स्वास्थ्य अर्जित किया जा सकता है.
यदि कोई मनुष्य पूरे शरीर को शिथिल करके प्रतिदिन पांच से दस मिनट तक ईश्वर से प्रार्थना करते हुए कहे- हे ईश्वर, तुम्हारी पूर्ण शक्ति मुझमें समा रही है, यह ऊर्जा यानी शक्ति मेरे अचेतन मन में भरती जा रही है, तुमने जो स्वस्थ शरीर मुझे दिया था, वैसा ही रोगरहित शरीर मुझे फिर से प्राप्त हो. इस स्वस्थ विचार को ग्रहण करने से अचेतन मन की शक्ति अपना कार्य शुरू करके रोग को अच्छा करना शुर कर देती है. सबसे अच्छा तो यह है कि व्यक्ति आंखें बंद करके अपने स्वस्थ शरीर की तस्वीर या स्वयं के स्वस्थ शरीर को देखने का प्रतिदिन अभ्यास शुरू कर दे तो इसके परिणाम कुछ ही दिनों में व्यक्ति को दिखाई देने शुरू हो जाएंगे.
शुक्रवार, 2 जुलाई 2010
अब तक का मानसून का हाल अच्छा
कृषि आधारित अर्थ व्यवस्था के लिए यह अच्छी खबर है कि महाराष्ट्र में इस साल मानसून पूरे जोश के साथ सक्रिय हुआ. जून माह में पिछले साल की तुलना में दोगुनी बारिश हुई जो राज्य के सामान्य औसत के मात्र दो फीसदी कम अर्थात ९८.२ प्रतिशत रही. राज्य में सबसे कम बारिश मराठवा‹डा के नांदे‹ड और परभणी जिले में हुई. विदर्भ में माह के अंतिम दो सप्ताह में अच्छी बारिश हुई. मध्य व पश्चिम महाराष्ट्र में पूरे महीने मेघ जमकर बरसते रहे.
राज्य में अब तक औसतन २१८.१ मिमी बारिश हो चुकी है जो सामान्य (२२२.१) की ९८.२ फीसदी है. पिछले साल हालात खराब थे. जून २००९ में मात्र १०१.४ मिमी बारिश ही हुई थी जो सामान्य की ४५.६ फीसदी थी.
इस साल मानसून ने शुरुआती आंखमिचौली के बाद अपनी कृपा बनाए रखी. चक्रवाती तूफान लैला के कारण समय पूर्व आने की मानसून की भविष्यवाणी हालांकि गलत साबित हुई लेकिन कुछ देर से ही सही मगर मानसून पूरी शिद्दत के साथ राज्य में सक्रिय हुआ. औसत के आधार पर राज्य में मानसून का प्रवेश ५ से १० जून के बीच होता है. १० जून तक मुंबई और मराठवा‹डा के बाद १२ से १५ जून के बीच इसे सम्पूर्ण राज्य में सक्रिय हो जाना चाहिए. इस साल लैला के कारण मानसून शुरुआती दौर में शिथिल प‹ड गया था और इसने थो‹डा विलंब यानी १० जून को राज्य की सीमा में प्रवेश किया. मराठवा‹डा के बाद फिर एक बार फिर मानसून शिथिल प‹डा और विदर्भ में लगभग एक सप्ताह की देरी से माह के तीसरे सप्ताह पहुंचा. लेकिन इसके बाद बारिश ने विदर्भ में पूरे महीने की कसर निकाल ली.
ठाणे, रत्नागिरी, qसधुदुर्ग, पुणे, अहमदनगर जिले में तो कमोबेश रोज ही बारिश ने अपनी उपिस्थिति दर्ज कराई. ठाणे में ९१.१, रत्नागिरी में १०५.३, qसधुदुर्ग में ११०.२, नासिक ११९.२, अहमदनगर १६६.७, पुणे १५१.५, सोलापुर १४३.१ प्रश बारिश हुई जो सामान्य से अधिक रही. सिर्फ नांदे‹ड और परभणी जिलों में सामान्य से काफी कम क्रमशः ५०.५ व ५५.६ फीसदी बारिश दर्ज की गई. अपेक्षा के विपरीत ग‹डचिरोली जिले में भी मात्र ६७.७ फीसदी बारिश हुई. इन जिलों के अलावा विदर्भ व मराठवा‹डा में भी एक पखवा‹डे के बाद मेघों ने अपनी कृपा बनाई. मराठवा‹डा के औरंगाबाद और बी‹ड जिलों में क्रमशः १३४.२ और ११३.४ फीसदी वर्षा रिकार्ड की गई. विदर्भ में सबसे अधिक मेहरबानी बुलढाना और वाशिम जिलों में हुई जहां का औसत क्रमशः १२१.९ व ११९.१ प्रतिशत रहा. मराठवा‹डा के लिए यह सुकून की बात रही कि नासिक में वरुण देवता का आशीर्वाद अब तक बना हुआ है. यहां सामान्य से अधिक ११९.२ फीसदी बारिश हुई है. नासिक में औसतन १५४.२ मिमी बारिश होनी चाहिए लेकिन इस साल अब तक १८४.१ मिमी बारिश हो चुकी है. शेष महाराष्ट्र में जलगांव को ही बारिश के लिए तरसना प‹डा. यहां सामान्य की अपेक्षा सिर्फ ६९.४ और नंदुरबार में ७३.४ फीसदी बारिश हुई. सातारा में सामान्य से दोगुनी २०४ फीसदी बारिश हुई. राज्य के अन्य हिस्सों में सामान्य के आसपास ही बारिश दर्ज की गई.
सिर्फ छह जिलों में कम वर्षाराज्य के सिर्फ चार जिलों परभणी, नांदे‹ड, जलगांव, नंदुरबार, ग‹डचिरोली व चंद्रपुर में सामान्य से कम बारिश हुई. विदर्भ, मराठवा‹डा में मानसून सामान्य रहा जबकि शेष महाराष्ट्र में मेघ जम कर बरसे. नांदे‹ड में मात्र ५०.५, परभणी में ५५.६, जलगांव में ६९.४, नंदुरबार ७३.४, ग‹डचिरोली ६७.७ और चंद्रपुर में ७५.६ फीसदी बारिश दर्ज की गई.