आम आदमी पार्टी सुप्रीमो अरविंद केजरीवाल की नागपुर में आज
शाम हुई आम सभा कई मायनों में ऐतिहासिक रही। सिर्फ नाम की ऐतिहासिक नहीं, बल्कि
इसने पुराने सभी रिकार्ड ध्वस्त कर दिये जो कभी इंदिरा गांधी, राजीव गांधी,
अटलबिहारी वाजपेयी या सोनिया गांधी की सभा में हुआ करती थी। इस स्थिति को देखकर
सहज ही अनुमान लगाया जा सकता है कि यदि ये भीड़ वोट में तब्दील हो गई तो यहां भी
दिल्ली की स्थिति दोहरा सकती है। यानी कांग्रेस उम्मीदवार के वोटों में खासी
गिरावट आ सकती है जबकि भाजपा के वोट भी ५ से १० फीसदी तक प्रभावित हो सकते हैं। और
यही समीकरण गडकरी के ऐतिहासिक जीत का कारक भी बन सकता है।
कल देर शाम होटल तुली इंटरनेशनल में केजरीवाल द्वारा १० हजारी डिनर
मीटिंग में दिये गये भाषण के कुछ अंश आपत्तिजनक होने के बाद आज सुबह के रोड शो की
रेटिंग सामान्य ही रही थी। लगभग ५०० लोगों की भीड़ ही इस रोड शो में दिखी। यानी
रोड शो के मामले में केजरीवाल का रंग अनुमान के विपरीत फीका ही दिखा था। अनुमान के
विपरीत इसलिए क्योंकि अनुमान था कि आम सभा का यह जज्बा रोड शो में ही दिख जाएगा।
खैर, शाम होते तक नागपुर के ऐतिहासिक कस्तूरचंद पार्क मैदान पर लोगों की भीड़
जुटनी शुरू हो गई जो केजरीवाल के पहुंचते तक ऐतिहासिक तादाद में परिणित हो गयी।
कई मायनों में ऐतिहासिक कहने का मतलब यही था कि यह आजादी के बाद यह
पहली ऐसी प्रचार सभा थी जिसमें जनता की स्वस्फूर्त सहभागिता थी। ऐतिहासिक इसलिए भी
कि इसमें ९५ फीसदी जनता नागपुर शहर की थी। ग्रामीण जनता या भाड़े पर लाए गए लोगों
की संख्या नगण्य थी। यही कारण था कि बस-ट्रक के बेकायदे जमावड़े की दिक्कत नहीं
हुई। एक अनुमान के मुताबिक इस सभा में ७० फीसदी ऐसे लोगों की तादाद थी जो आसानी से
वोटबैंक में तब्दील हो सकते हैं। कुल संख्या में नए टाइप के वोटरों की संख्या भी
काफी दिखी। आम आदमी पार्टी के पार्टी लाइन के लोग तो बामुश्किल २० प्रतिशत से भी
कम ही नजर आए।
केजरीवाल की सभा की इस भारी सफलता के बाद अब कांग्रेस और भाजपा दोनों
ही पार्टियों के कान खड़े हो गए हैं। इसका कारण यह है कि नागपुर से एक ओर भारतीय
जनता पार्टी के कद्दावर नेता और पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष नितिन गडकरी चुनाव लड़
रहे हैं। बतौर प्रत्याशी गडकरी का यह पहला लोकसभा चुनाव है। अब तक के अनुमान के
मुताबिक गडकरी इस चुनाव में रिकार्ड बहुमतों से जीतेंगे। साथ ही यह भी पुख्ता
अनुमान था कि कांग्रेस के वोट चार बार चुनाव जीत चुके कांग्रेस प्रत्याशी विलास
मुत्तेमवार को ही मिलेंगे। लेकिन अब इस सभा के बाद नागपुर से आम आदमी पार्टी की
उम्मीदवार अंजलि दमानिया को १ लाख से अधिक वोट मिलने का अनुमान व्यक्त किया जा रहा
है। ब्लाग में इस पोस्ट के नीचे के पोस्ट में पिछले चुनावों में भाजपा और कांग्रेस
की स्थिति की समीक्षा पहले ही की जा चुकी है।
अब तक अंजलि दमानिया को बामुश्किल ५० हजार वोट ही मिलने का अनुमान था।
एक बाहरी व्यक्ति के रूप में दमानिया की व्यक्तिगत छवि को देखते हुए इससे अधिक वोट
मिलने की उम्मीद भी बेमानी है। लेकिन यदि वोट आम आदमी पार्टी के नाम पर पड़े यानी
परिवर्तन के नाम पर पड़े तो दमानिया को सवा लाख तक वोट मिल सकते हैं। अब देखने
वाली बात यह होगी कि इसमें कितने वोट गडकरी के कटते हैं और कितने वोट मुत्तेमवार
के। एक अनुमान है कि यदि ये भीड़ वोट में तब्दील हो गई तो यहां भी दिल्ली की
स्थिति दोहरायी जा सकती है। यानी कांग्रेस उम्मीदवार के वोटों में खासी गिरावट आ
सकती है जबकि भाजपा के वोट भी ५ से १० फीसदी तक प्रभावित हो सकते हैं। ऐसी स्थिति
में मुत्तेमवार को सवा दो लाख तक मत मिल सकते हैं। यदि मतदान का प्रतिशत बढ़ा और
साढ़े ९ लाख मत पड़े तो गडकरी के अच्छे बहुमत से जीतने की संभावना और बढ़ जाएगी।
आज की सभा के बाद तो यह पक्का कयास लगाया जा रहा है कि इसका नुकसान दिल्ली की तर्ज
पर कांग्रेस को ही होगा। ऐसे में गडकरी की जीत ऐतिहासिक हो सकती है।
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