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शनिवार, 8 मार्च 2014

नागपुर लोकसभा चुनावः गडकरी जीतेंगे या भारी मतों से जीतेंगे

  

नागपुर लोकसभा क्षेत्र इस बार राष्ट्रीय स्तर पर महत्वपूर्ण और चर्चित होगा। इसका कारण यह है यहां से भारतीय जनता पार्टी के पूर्व राष्ट्रीय अध्यक्ष श्री नितिन गडकरी मैदान में हैं। कांग्रेस की तरफ से निवर्तमान सांसद श्री विलास मुत्तेमवार की टिकट भी तय मानी जा रही है। आम आदमी पार्टी की अंजलि दमानिया भी दम ठोंक रही हैं। यहां अब मुकाबला दिलचस्प हो चला है। फिर भी अब तक सिर्फ यही कयास लगाये जा रहे हैं कि गडकरी कितने वोटों से जीतते हैं और आम आदमी पार्टी को कितने वोट मिलते हैं।
यह क्षेत्र परंपरागत रूप से कांग्रेस की सीट रही है। यहां से भारतीय जनता पार्टी सिर्फ एक बार ही जीत पायी है। इस बार नितिन गडकरी के मैदान में होने से अब तक उनका जीतना तय माना जा रहा है। लेकिन चौंकाने वाला सर्वेक्षण सामने आया है। कांग्रेस के परंपरागत वोट इस बार भी कांग्रेस के साथ ही दिखाई दे रहे हैं। उस पर अंजलि दमानिया के मैदान में होने से शहरी मध्यम वर्ग के युवाओं के मत प्रभावित होने की पूरी संभावना दिख रही है।

श्री गडकरी की तैयारियां तो पिछले ३ साल से चल रही है। इन तैयारियों के लिए भारतीय जनता पार्टी के कार्यकर्तां के अलावा गडकरी पार्टी के नाम से एक गुप्त लेकिन नया संगठनात्मक ढांचा तैयार किया गया। इसके कार्यकर्ता वे लोग हैं जो भाजपा या संघ से तो अलग हैं लेकिन गडकरी के साथ हैं। ऐसे लोगों की भी लंबी फेहरिस्त है। इसमें कांग्रेस, समाजवादी, वामपंथियों, विभिन्न यूनियन, समाज संघो के लोग शामिल हैं। नियमबद्ध रूप से बिना शोर-शराबा के झोपड़पट्टियों और ऐसे क्षेत्रों में ये दल कार्यरत है जहां परंपरागत रूप से भाजपा को वोट नहीं डाले जाते। ये क्षेत्र कांग्रेस के परंपरागत वोटबैंक होते हैं। इनमें पश्चिम और उत्तर नागपुर की झोपड़पट्टियों में मुख्य रूप से ध्यान दिया गया। विभिन्न स्वास्थ्य और अन्य जन कल्याणकारी कार्य लगातार किये जा रहे हैं। लगभग हर विचारधारा के नेताओं के साथ श्री गडकरी के व्यक्तिगत सबंधों का लाभ भी अब तक गडकरी के पक्ष में ही दिखायी दे रहा है। श्री गडकरी ने राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ की उस इमेज को भी तोड़ा जिसके तहत कैडरबेस कार्यकर्ताओं को ही तरजीह दी जाती हो। २००९ के चुनाव में कांग्रेस के श्री विलास मुत्तेमवार को 3 लाख 15 हजार 148 मत मिले थे जो कुल मतदान का 41.72 फीसदी था. इस चुनाव में भाजपा के श्री बनवारीलाल पुरोहित को 38.49 फीसदी यानी 2 लाख 90 हजार 749 मत मिले थे। बहुजन समाज पार्टी के श्री माणिकराव वैद्य को 1 लाख 18 हजार 741 मत मिले थे। यानी मुत्तेमवार महज 24,399 मतों से विजयी हुए थे। इस बार नागपुर लोकसभा में 16 लाख 43 हजार 197 मतदाता अपने मताधिकार का प्रयोग करेंगे। अगर ५० से ५५ फीसदी वोट भी डाले गए तो लगभग ८.५ लाख मतदान होना तो तय है। आम आदमी पार्टी की उपस्थिति से पांच फीसदी वोटों का हेरफेर भी चुनावी परिदृश्य को बदलने में सक्षम होगा। यानी अब पूरा दारोमदार गडकरी ब्रिगेड के कार्यकर्ताओं पर टिक गया है। कांग्रेस ने अब तक टिकट वितरण नहीं किया है। वैसे भी पार्टी मे मुत्तेमवार को हाशिये पर डालने के बाद शहर में कांग्रेस की सक्रियता में कमी आई है। अब विकास ठाकरे को कांग्रेस अध्यक्ष बनाये जाने के बाद मुत्तेमवार के साथ भी युवाओं का एक बड़ा वर्ग जुड़ेगा। नए मतदाताओं का रूझान भी महत्वपूर्ण होगा। कुल मिला कर अब तक पक्की मानी जा रही गडकरी की जीत अब उतनी आसान नहीं लग रही है। यानी भाजपा, संघ और गडकरी ब्रिगेड को फिर से नई ताकत के साथ चुनाव मैदान में डटना होगा। वैसे चुनाव प्रबंधन के मामले में गडकरी माहिर माने जाते हैं। दिल्ली में भाजपा की जबरदस्त सफलता में गडकरी के चुनाव प्रबंधन का बड़ा योगदान रहा है। विदर्भ में भी भाजपा को स्थापित करने का श्रेय भी गडकरी को ही जाता है। देखने वाली बात यह होगी कि १९९८ से लगातार जीत रहे मुत्तेमवार इस चुनाव में क्या करते हैं।

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