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रविवार, 6 मई 2012

मुझे छू रही हैं तेरी गर्म सांसें


फिल्म स्वयंवर में गुलजार का लिखा यह गीत सच में सदाबहार है। आज उनकी याद आई तो ये गीत उन्हें भेंट कर रहा हूं।  
 
 
मुझे छू रही हैं तेरी गर्म सांसें
मेरे रात और दिन महकने लगे है...
तेरी नर्म सांसों ने ऐसे छुआ है
कि मेरे तो पांव बहकने लगे हैं... मुझे छू रही...
 
लबों से अगर तुम बुला ना सको तो
निगाहों से तुम नाम लेकर बुला लो 
तुम्हारी निगाहें बहुत बोलती हैं
जरा अपनी आंखों पर पलकें गिरा दो.. मुझे छू रही हैं...

पता चल गया है कि मंजिल कहां हे,
चलो दिल के लंबे सफर पे चलेंगे
सफर खत्म कर देंगे हम तो वहीं पर
जहां तक तुम्हारे कदम ले चलेंगे... 
मुझे छू रही हैं......

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