इस समय नागपुर का मौसम

शुक्रवार, 30 सितंबर 2011

कैक्टस के फूल


खिलखिलाएं तो रेगिस्तान में बहार जाती है
चंद कैक्टस के फूलों की बयार जाती है
फूल हैं, वैसे ही हैं जैसे होते हैं दूसरे फूल
वीरान मरु में सौंदर्य की किरण होती है


सर पर सूरज की तीखी किरणें
पैरों पर रेगिस्तान की तपती रेत
परवाह नहीं होता हे उसे इनका
उसकी अदाएं नाजुक ही रहती हैं

इन फूलों को सहारा देती है वो डाल
हरित वर्ण मगर लबरेज कांटों से
फूलों को इस तरह संजोए अपने पाश में
मानो प्रकृति का कड़वा सच कहती है

जिंदगी भी है इस कैक्टस के मानिंद
उसके पास सूर्य भी है चंदा भी है,
हवाएं भी हैं, हैं अलग अंदाज में
मगर फितरत उनकी सबसे जुदा होती हैं

कोई शिकायत नहीं प्रकृति से
कोई शिकवा नहीं भाग्य की लकीरों से
उसकी खासियत ही होती है ये
बिन पानी वह सून नहीं होती है


कोई टिप्पणी नहीं: