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बुधवार, 28 सितंबर 2011

शारदीय नवरात्र- पहला दिन

दत्त गुरु ओम्, दादा गुरु ओम्।।

शारदीय नवरात्र की आज से शुरूआत हो गई है.नवरात्र का आज पहला दिन है.नवरात्र के नौ दिनों में आदिशक्ति मां दुर्गा के नौ रूपों की पूजा की जाती है.

मां के इन नौ रूपों को नवदुर्गा के नाम से भी जाना जाता है. नवरात्र के नौ दिनों मे मां दुर्गा के जिन नौ रूपों का पूजन किया जाता है.

देवी दुर्गा का प्रथम स्वरूप : शैलपुत्री (28 सितम्बर)

नवदु्र्गाओं में सर्वप्रथम गिरिराज हिमवान की पुत्री शैलपुत्री का नाम आता है. श्वेत एवं दिव्यस्वरूपा वृषभ पर आरूढ़ हिमवान की पुत्री आदि महाशक्तिरूपा सती पूर्व जन्म में दक्ष प्रजापति की पुत्री थीं.

जब दक्ष ने एक यज्ञ के आयोजन में सभी देवताओं को आमंत्रित किया लेकिन आदिदेव शंकर जी को नहीं बुलाया तो सती शंकर जी से आज्ञा लेकर अपने पिता के घर गईं.

सती अपने पिता दक्ष प्रजापति के ऊपर अपने पति शंकर जी को न बुलाए जाने पर अत्यंत क्रोधित हुईं. पिता दक्ष प्रजापति ने सती के सामने ही शंकर जी को कुछ अपमानजनक शब्द बोले जिसे सती अपने पति शंकर जी का अपमान सहन न कर सकीं.

अपमानित सती ने अपने पिता दक्ष की भर्त्सना की एवं दहकते यज्ञ कुंड में अग्नि की ज्वाला में अपनी योगमाया की शक्ति का आवाहन कर के अपने प्राण त्याग दिए.

वहीं सती कालांतर में पार्वती के रूप में पुन: हिमालय की पुत्री बनकर शंकर जी की अरधागिनी बनीं. यही पार्वती देवी ने इन्द्रादि देवताओं के अंहकार को नष्ट करने के लिए उनको शक्तिहीन कर दिया. तब ब्रहमा, विष्णु एवं महेश त्रिदेवों को लेकर सभी देवता पार्वती देवी की शरण में गए एवं दीन भाव से उनकी स्तुति की.

देवताओं द्वारा की गई स्तुति से प्रसन्न होकर पार्वती जी ने पुन: उन्हें अस्त्र-शस्त्र के साथ उनकी शक्ति को वापस किया. इन्हीं देवी पार्वती को देवी शैलपुत्री के नाम से पुकारा गया.

ध्यान मंत्र

वंदे वांछित लाभायचन्द्रार्धकृतशेखराम् ।

वृषारुढ़ां शूलधरां शैलपुत्री यशस्विनीम् ।।

अर्थात् मनोवांछित लाभ के लिए मस्तक पर अर्धचंद्र धारण करने वाली, वृष पर आरूढ़ होने वाली, शूलधारिणी, यशस्विनी शैलपुत्री दुर्गा जी की मैं वंदना करता हूं. इस प्रकार ध्यान करते हुए शैलपुत्री देवी के मंत्र ‘ऊं’ ऐं ह्रीं क्लीं चामुण्डायै विच्चे ऊं शैलपुत्री देव्यै नम:’ का नित्य एक माला जाप करने से हर प्रकार की शुभता प्राप्त होती है.

पंडितों के अनुसार इस बार का शारदीय नवरात्र बहुत शुभ है. 9 दिनों के पूर्ण नवरात्रों में न तो किसी तिथि का क्षय है और न वृद्धि. नवरात्र का समापन बुधवार 5 अक्टूबर को होगा. गुरूवार को यानी 06 अक्टूबर को विजय दशमी का पर्व मनाया जाएगा. इसी दिन दशहरा है.

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