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बुधवार, 25 अप्रैल 2007

जब जटिलता हो संवाद में

दत्त गुरु गुरु ओम्, दादा ओम् ।।


जब जटिलता हो संवाद में
पारिवारिक और दोस्ताना संबंधों में कई बार ऐसे मामले भी सामने आते हैं जब आप चाह कर भी अपनी बात सामने वाले को नहीं कह सकते. हो सकता है आपका रूममेट आपसे अपनी आदतों के बारे में विचारविमशॆ नहीं करना चाहता. शायद आपकी मां नहीं चाहती हों कि आप उनसे उनके क्लब के बारे में पूछें या फिर आपकी बहन या भाई नहीं चाहता हो कि उससे उसके पुरुष या महिला मित्र के विषय में पूछा जाए. भले ही यह मुद्दा आपके लिये अहिमयत रखता हो या फिर इससे सामने वाले का भला हो, अब सवाल यह उठता है कि ऐसे मुद्दे को किस प्रकार चचाॆ के लिए रखा जाए जिससे सामने वाला आहत भी न हो और आपका मकसद भी हल हो जाए.अपने संपकॆ की योजना बनाएंयदि आप योजनाबद्ध तरीके से शब्दों का प्रयोग नहीं करेंगे तो हो सकता है बात बनने की बजाय बिगड़ जाए. इसलिए यह आवश्यक है कि आप कुछ समय के लिए शांत दिमाग से बैठें और बातचीत के दौरान शब्दों के प्रयोग, मुद्दों को प्रस्तुत करने के तरीके पर विचार करें. यह निधाॆरित करें कि इस वाताॆलाप के पीछे आपका हेतु क्या है और आप सामनेवाले व्यक्ति से किस प्रकार के परिणाम की अपेक्षा रखते हैं. इस बात का ध्यान रखें कि आपके मकसद के उचित होने का असर सामने वाले पर पड़े, साथ ही सामने वाले की असुरक्षितता, उसके बोलचाल और व्यवहार के तरीके पर भी विचार करें.जरूरी नहीं है कि किसी व्यक्ति के लिए किसी प्रकार का संपकॆ का प्रकार हर परिस्थिति में उचित हो. आपने अगर अपने किसी संबंधी या करीबी को रुपये उधार दिए हैं और उसने २ साल से उधार नहीं चुकाए हैं, साथ ही आप उससे संबंध भी खराब नहीं करना चाहते तो आप उसके साथ अपनी मीटिंग तय कर सकते हैं और फिर शांत दिमाग से इस मुद्दे पर बात कर सकते हैं. आप उसे बता सकते हैं कि इस समय आपको उन रुपयों की कितनी जरूरत है. ऐसा करने से आप अपने आपको सही तरीके से संवाद स्थापित करने का स्वच्छ वातावरण भी प्रदान करते हैं. महत्वपूणॆ है समयसूचकताऐसी परिस्थिति में समयसूचकता काफी महत्वपूणॆ हो जाता है. ऐसे में जबकि वाताॆलाप का विषय काफी कठिन होता है, जरा सी असावधानी काम बना भी सकती है और बनाबनाया काम बिगड़ भी सकता है. यहां कुछ बिंदू आपके लिए लाभदायक हो सकतै हैं-१) बुरे समय या संकटग्रस्त स्थिति में इस प्रकार का संवाद हर संभव टालें.२) ऐसा फुसॆत का समय चुनें जब आप विषय की गहराई में जाकर संवाद स्थापित कर सकें.३) अपनी बात कहने के लिए सही समय का इंतजार करने से बेहतर है कि संवाद कुशलता द्वारा सही पल का निमाॆण कर लिया जाए.आत्मविश्वास बनाए रखेंआपमें यह विश्वास जरूरी है कि आपने भले ही स्वयं करने का गलत तरीका अख्तियार किया हो परन्तु आपकी भावनाएं सही हैं.