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रविवार, 24 फ़रवरी 2013

१६ मार्च को पुस्तक 'समाजवादी अध्यात्म' का विमोचन


पं. अध्यात्म त्रिपाठी स्मृति वर्षः साल भर होंगे विविध आयोजन

नागपुर। स्वतंत्रता के बाद सम्पूर्ण स्वतंत्रता का उद्घोष करने वाले डाक्टर राममनोहर लोहिया के विश्वस्त सहयोगी पं. अध्यात्म त्रिपाठी की १५ मार्च को २५वीं पुण्यतिथि है। समाजवाद के इस मौन साधक को श्रद्धांजलि अर्पित करने के लिए सन २०१३-२०१४ को अध्यात्म त्रिपाठी स्मृति दिवस के रूप में मनाया जाएगा। सभी कार्यक्रम अध्यात्म त्रिपाठी स्मृति समारोह समिति और लोहिया अध्ययन केंद्र के संयुक्त तत्वावधान में होंगे।
इन कार्यक्रमों की श्रृंखला में १५ मार्च को अमरावती में आटिज्म से पीड़ित बच्चों के लिए संचालित  अध्यात्म त्रिपाठी स्मृति समता ट्रस्ट (जीवाश्रय) स्कूल का भूमिपूजन, इसी दिन लोहिया अध्ययन केंद्र में श्री अध्यात्म के छायाचित्र का अनावरण होगा। १६ मार्च को शाम ४.३० बजे पं. अध्यात्म त्रिपाठी पर आधारित पुस्तक समाजवादी अध्यात्म का विमोचन धनवटे सभागृह, शंकर नगर में किया जाएगा। कार्यक्रम में मुख्य अतिथि के रूप में लोकतांत्रिक समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष रघु ठाकुर उपस्थित रहेंगे। अध्यक्षता पूर्व विधायक गिरीश गांधी करेंगे। प्रमुख रूप से प्रखर शिक्षाविद् वेदप्रकाश मिश्रा उपस्थित रहेंगे। पुस्तक का लोकार्पण दादाधाम के प्रणेता नरेंद्र दादा करेंगे। पुस्तक में देश भर के ३५ लोगों से संस्मरण व आलेख शामिल किया गया है। साथ ही १९४७ से १९८८ तक के समाजवादी आंदोलन पर शोध कर श्री अध्यात्म के जीवन पर विस्तृत प्रकाश डाला गया है। पुस्तक के मार्गदर्शक वरिष्ठ संपादक अच्युतानंद मिश्र, संपादक श्रीमती अर्चना तिवारी हैं। समाग्री संकलन व लेखन का कार्य पत्रकार अंजीव पांडेय ने किया है। पुस्तक का प्रकाशन नयी दिल्ली के अनामिका प्रकाशन और जेबीएस पब्लिकेशन द्वारा संयुक्त रूप से किया गया है।
 इसके अतिरिक्त वर्ष भर साहित्यिक-सांस्कृतिक संध्या, विभिन्न क्षेत्रों पत्रकारिता, समाजसेवा, राजनीति, साहित्य, कला, संस्कृति के क्षेत्र में  आजीवन सेवाएं देने वाले मान्यवरों का सत्कार, महाप्रसाद जैसे अन्य कार्यक्रम भी नागपुर, दिल्ली व लखनऊ में आयोजित किये जाएंगे। लोहिया अध्ययन केंद्र के सचिव हरीश अड्यालकर ने कार्यक्रम में उपस्थिति की अपील आम जनता से की है।

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स्व. अध्यात्म त्रिपाठी और पुस्तक के संबंध में
पंडित अध्यात्म त्रिपाठी 20 वर्षों तक डाक्टर राममनोहर लोहिया के विश्वस्त सहयोगी रहे। डाक्टर लोहिया के अंतरंग होने के कारण उस जमाने में के लोगों के लिये आदरणीय थे। अध्यात्म जी के लिए सम्मान इसलिए भी था, क्योंकि उनके व्यक्तित्व में वे सभी बातें मौजूद थीं, जो कमोबेश किसी गुरु से शिष्य को मिलती हैं। अर्थात गुरु तुल्य लोहिया जी का गहरा असर उनके व्यक्तित्व में था। अध्यात्म जी का सम्पूर्ण जीवन डाक्टर लोहिया के समाजवादी आन्दोलन को समर्पित रहा। यही कारण था- उनका व्यक्तित्व विपुल था, बहुआयामी था।

साहित्यकार हों, विचारक-चिंतक हों, या राजनीतिक और या फिर शोषित वर्ग का कोई व्यक्ति, अध्यात्म जी से उनके मधुर रिश्ते होना आश्चर्य की बात नहीं थी। सन् 1980 के बाद देश की वैचारिक पृष्ठभूमि में तेजी से बदलाव आया। सिद्धांतों की बात करने वालों से किनारा किया जाने लगा। राजनीति, पत्रकारिता में मिशनरी भावना का स्थान धनलोलुपता और स्वार्थ ने ले लिया। इसके बावजूद 15 मार्च 1988 को जीवन के अंतिम दिनों तक उन्होंने सार्वजनिक जीवन के उन सिद्धांतों को जीवित रखा जिनकी वकालत 1967 तक डाक्टर राममनोहर लोहिया करते रहे।

अध्यात्म जी का सम्पूर्ण जीवन चार प्रमुख वैचारिक खंडों में विभक्त रहा- डाक्टर लोहिया के जीवित रहते हुए उनके कार्यक्रमों, आन्दोलनों में सहभागिता, डाक्टर लोहिया की मृत्यु के उपरांत उनके कार्यक्रमों और आन्दोलनों का नेपथ्य में रहकर संचालन, डाक्टर राममनोहर लोहिया समता विद्यालय न्यास के कार्य (हैदराबाद के बदरीविशाल पित्ती जी के अभिभावकत्व में लोहिया साहित्य का संपादन, प्रकाशन व प्रचार-प्रसार) तथा कद्दावर नेता हेमवतीनंदन बहुगुणा जी के साथ सच्चे समाजवाद की स्थापना का आशावाद। लोहिया जी की सप्तक्रान्ति को भी अध्यात्म जी ने अपने चरित्र में पूर्णतः आत्मसात कर लिया था। प्रस्तुत पुस्तक ‘समाजवादी अध्यात्म’ में अध्यात्म जी के जीवन के विभिन्न रंगों को सामने लाने का प्रयास किया गया है। एक प्रयास है इस पुण्यात्मा को श्रद्धांजलि प्रदान करने का, वह सम्मान प्रदान करने का जिसके वे हकदार थे।