याद आ गए आज मुझे फिर वो
बीते लम्हे प्यार के
वो यादें, वो शरारतें , किस्से
उनके इंतजार के
मिलने की कसक के साथ
हमारा मीलों दूर जाना
फिर मोबाइल पर हमारी
पल-पल की खबर लेना
हमें भी मिलने की चाहत
ऐसी कि खुद को भूल जाना
फिर मुलाकात के उन क्षणों में
ऐसे खो जाना ऐसे
बिन मौसम बरसात कर
प्रकृति भी रजामंद हो जैसे
फिर कुछ गिलेशिकवों की सौगातें
साथ में कुछ पल फुर्सत के
ऐसे कट जाते हैं मानो
मुलाकात ही ना हुई हो
विदाई का बोझ लिए हो जाना विदा
दोनों के रास्ते एक दूसरे से जुदा
मगर मुलाकात का वो ठहराव
अब भी है वो सुखद एहसास
इसे ही संजोये रखना है
अब उम्र भर हमें
अब रास्ते हो गए जुदा मानो
मुलाकात ही ना हुई हो.....
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