आज मेरा मजाक उड़ा ले जीभर
मगर मेरी गुफ्तगूं रुक नहीं सकती
गिला नहीं गर तू गैर से इश्क कर ले
हिकयते खूंचका मिटा नहीं सकती
तू मुझे ख्वाब समझ भुला दे मगर
ख्वाबों से रिश्ता तोड नहीं सकती
हुस्न पे नाज तुझे जरूर है मगर
उसे ताउम्र कायम रख नहीं सकती
खौफ आता है मुझे तकसीर पे 'अंजुम'
मेरी आह सिला-ए-गौश मांग नहीं सकती।
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