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मंगलवार, 15 नवंबर 2011

एक खत 'युवराज' के नाम



राहुल जी,. ये आपने क्या कह दिया. सब ठीकठाक तो है न. कहीं आप भी उत्तर प्रदेश के चुनावी दंगल में अभी से हताशा तो नहीं देख रहे हैं. राहुलजी, आप तो देश की सबसे शक्तिशाली महिला आदरणीय सोनिया जी के पुत्र हैं. आप तो देश की सबसे शक्तिशाली पार्टी कांग्रेस के युवराज हैं. समझ में ये नहीं आया कि आपको किसने ये बता दिया कि महाराष्ट्र में काम करने वाले यूपी के लोग भिखमंगे हैं. 
ओह, क्षमा कीजिएगा, आपके एन एंग्री यंग मैन से भरपूर तेवर वाले पोस्टरदेखकर हम तो भूल ही गए थे कि आप खुद का लिखा भाषण नहीं पढ़ते. आप तो सिर्फ भाषण पढ़ते हैं. उसे लिखने वाला दिमाग अलग होता है. अब जो कोई भी लिखे, किसी को इससे क्या? जनता तो यही समझती है कि आपके मुखारबिंद से निकले शब्द आपके ही हैं. जनता आपको अत्यंत विद्वान, युवा और सर्वशक्तिमान समझती है. इसी कारण तो वह आपके बोलने के मतलब भी यही निकालती है कि जो आपने कहा वो आपके विचार हैं.
किसी ब्रांड मैनेजर टाइप के व्यक्ति का लिखा भाषण अक्षरशः पढ़ने के पहले आपको एक बार उस पर विचार भी कर लेना चाहिए था. क्या आपको लगता है कि महाराष्ट्र में आकर बसे हुए यूपी-बिहार के लोग भिखारी हैं. तब तो आपकी कांग्रेस पार्टी को दुनिया की सबसे लोकतांत्रिक पार्टी मानने में कोई दिक्कत नहीं होगी. क्योंकि आपकी पार्टी ने कृपाशंकर सिंह के रूप में एक भिखमंगे को मुंबई प्रदेश कांग्रेस का अध्यक्ष बना रखा है. आपने संजय निरूपम के रूप में एक भिखमंगे को पार्टी का प्रवक्ता बना रखा है. ये दो नाम आपकी पार्टी के इसलिए आपके सामने रखा क्योंकि अन्य उद्योगपतियों, फिल्मी कलाकारों, साहित्यकारों, पत्रकारों, समाजसेवियों, अधिकारियों की चर्चा मैं इस समय नहीं कर इन समस्य कर्मयोगियों की भावनाएं आहत नहीं करना चाहता.  अगर ऐसा है तो कांग्रेस और आप सभी साधुवाद के पात्र हैं. भिखारियों को महत्वपूर्ण पदों पर बैठाना आज के समय में कम हिम्मत की बात नहीं है. लेकिन राहुल जी, आपसे एक शिकायत करनी है. आपके इन भिखमंगे नेताओं ने कभी भी उत्तर भारतीयों की वकालत सार्वजनिक रूप से नहीं की है. जिस समय शिवसेना की सहयोगी पार्टी भारतीय जनता पार्टी भी उत्तर भारतीयों के पक्ष में आ गई थी, उस समय भी महाराष्ट्र में आपकी पार्टी के भिखारियों ने मुंह बंद रखा था. हां, अभी हाल में संजय निरूपम ने नागपुर में जरूर यह कह कर थोड़ी हलचल पैदा की थी कि अगर उत्तर भारतीय बैठ गए तो मुंबई ठप होजाएगी. इस पर शिवसेना ने मुखर होकर उन्हें उनकी जगह भी दिखा दी थी.रहा सवाल भिखारियों की आपके पार्टी में ताजपोशी की लोकतांत्रिक प्रक्रिया का, तो आपकी पार्टी कितनी लोकतांत्रिक है, इसका प्रत्यक्ष मिसाल दिल्ली के रामलीला मैदान पर आधी रात शांति से सोये बच्चों, महिलाओं, पुरुषों पर कराये गए सशस्त्र हमले से मिल जाता है. राहुल जी, वह हमला किसी कानून-व्यवस्था का हिस्सा नहीं था, वह हमला किसी रामदेव बाबा तक सीमित नहीं था.वह हमला था, अपने आपको लोकतंत्र से अधिक शक्तिशाली समझने का दंभ. वह हमला था हमारे उन स्वतंत्रता सेनानियों के त्याग को मटियामेट करने के लिए जिन्होंने लोकतंत्र की परिकल्पना की थी.
खैर राहुल जी, आपकी पार्टी कांग्रेस क्या वाकई वैचारिक रूप से दिवालिया हो गई है? क्या अपनी लाचारी, अपनी कमजोरी छिपाने के लिए देश के एक बड़े तबके को भिखारी जैसे अलंकरण से सम्मानित किया जा सकता है? माना कि उत्तर प्रदेश के चुनाव परिणाम देश का राजनीति पर दूरगामी परिणाम डालेंगे. माना कि अन्य प्रधानमंत्रियों की तरह उत्तर प्रदेश का राजा बना कर आपकी ताजपोशी की योजना हो. लेकिन राहुलजी, क्या है न कि आपके इस प्रकार के बयान पूरे किए कराए पर पानी फेर देते हैं.  
अब यूपी के युवाओं को महाराष्ट्र जाकर भीख मांगने का बयान आपने क्यों दिया, ये हम आपको बताते हैं. आपकी पार्टी के लोग अन्ना हजारे, बाबा रामदेव, श्री श्री रविशंकर जी आदि के प्रभाव से खासे आतंकित हैं. आपकी पार्टी के नेताओं को यह समझ में आ गया है कि गांधी-नेहरू परिवार के समान ही चमत्कारिक आकर्षण रखने वाले अन्य लोग भी हो सकते हैं. खास कर अन्ना हजारे के आंदोलन से तो आपकी पार्टी को मुंह छिपाने के लिए भी जगह नहीं मिल रही है. इसीलिए आपके नेता मीडिया के माध्यम से लगातार यह प्रयास कर रहे हैं कि किसी तरह भाषाई या क्षेत्रीय आधार पर फूट डाल कर अन्ना को उत्तर प्रदेश में बौना साबित कर दिया जाए. 
राहुलजी, आपकी पार्टी के लोग फिर गलती कर रहे हैं. आप लोग ये क्यों नहीं समझ रहे हैं कि भ्रष्टाचार के खिलाफ आंदोलन को मिला समर्थन व्यक्तिगत रूप से अन्ना हजारे को नहीं बल्कि यह सरकार के खिलाफ उमड़ा था. आप जानते हैं न कि जब चार लोगों का दुश्मन एक हो जाता है तो चारों आपस में दोस्त हो जाते हैं. इसका ये मतलब नहीं होता कि चारों के बीच अच्छा तालमेल है. आपके भाषण लिखने वाले ने उत्तर प्रदेश की जनता में महाराष्ट्र के खिलाफ जहर घोलने की कोशिश की, उसे उकसाने की कोशिश की ताकि जब अन्ना यहां चुनाव प्रचार के लिए आएं तो उन्हें यहां की जनता नकार दे. अन्ना मराठी हैं न. वाह क्या दिमाग लगाया आपके लोगों ने. उन लोगों ने ये नहीं सोचा कि उत्तर प्रदेश का एक बड़ा तबका देश के अन्य राज्यों में रहता है. उस तबके से जुड़े लाखों लोग उत्तर प्रदेश में रहते हैं. किसी को भिखमंगा होने का उलाहना देने से तो बेहतर रहता कि आप संविधान के मजबूत धागे से बंधे भारत में क्षेत्रवाद का मामला उठाने वालों की खिलाफत करते. 
इन्हीं उत्तर भारतीय भिखारियों को वो दिन भी याद है जब आपने शिवसेना को चुनौती देते हुए मुंबई की यात्रा की थी. सभी ने आपको हाथोंहाथ लिया था. किसी मराठीभाषी ने भी आपका विरोध नहीं किया था. ऐसा में आपको क्यों कर इस बात की जरूरत आ पड़ी कि आप विखंडन के खतरनाक बीज बोएं. अपसोस, मगर यह हकीकत है राहुल जी कि आपके इस बयान से न सिर्फ उत्तर भारतीयों का सिर नीचा हुआ है बल्कि उन ताकतों का हौसला भी बुलंद हुआ है जो क्षेत्रीयता की समर्थक हैं और इसी के बल पर अपनी राजनीति चला रही हैं.

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