इस समय नागपुर का मौसम

मंगलवार, 8 नवंबर 2011

कहकहे




कहकहे लगाते हैं
ठठा के हंसते हैं
मुझे मेरी मजबूरी
याद दिलाते हैं

फिर भी नहीं कर पाते
मजबूर मुझे
झकझोर भी नहीं पाते
हैं मुझे

कहीं कहीं फौलाद
का कवच चढ़ा है
क्योंकि मारने वाले से
बचाने वाला बड़ा है

अपनी शानोशौकत का
दिखावा करते हैं
अपनी बुद्धिमत्ता का
ढिंढोरा पीटते हैं

हम करें सो कायदा
पर यकीन है उन्हें
अपनी औकात पर
झूठा घमंड है उन्हें

हम भी अपनी सोच को
जिंदा रखते हैं
वो जिन्हें बदलने को
मजबूर करते हैं

काश उन्हें कायदे से
कायदे का भान हो जाए
झूठा घमंड हमेशा
के लिए टूट जाए......

कोई टिप्पणी नहीं: