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रविवार, 18 जनवरी 2009

भावनाओं को देनी होगी तिलांजलि
आज का दिन अच्छा गया क्योंकि सुबह मैंने अपने ब्लाग में कई बातें कन्फेस कर ली थीं. अभी-अभी उसकी एक और बात याद आ गई। उसने मुझे एक कविता किसी की ईमेल की थी. मुझे ईर्ष्या हुई तो उसने उलाहना दिया कि ऐसा लिखना सीखो. अब मैं उसे क्या समझाता कि साहित्य या लेखन की सबकी अपनी स्टाइल होती है. सबसे जरूरी बात यह है कि रचना मौलिक होनी चाहिए, किसी की नकल नहीं होनी चाहिए. चलो, कोई बात नहीं. मैंने उसे समझाया नहीं बल्कि और चिढ़ गया. अब आप ही बताइये मुझे ईर्ष्या क्यों होने लगी. वैसे भी नमक हलाल फिल्म में अमिताभ बच्चन ने कहा था, पराया धन और पराई नार पे नजर मत डालो. मगर मुझे तो सनक सवार हुआ था न. (अपने भारत की गावरानी बोली में कहूं तो ) पटाने चला था एक पराई नार को. अपने पर भी गुस्सा आता है कि क्यों बार-बार गलती करता हूं. जब एक बात मालूम है कि मेरे करियर की सबसे बड़ी रुकावट स्त्रियां ही हैं तो क्यों कर मैं बार-बार गलती करता हूं. और पता नहीं मुझमें क्या है. एक फक्कड़ आदमी से ये औरतें भी आकर्षित हो जाती हैं. कुछ तो बात होगी ही. अब आप यह मत सोचिए कि मैं ये जली-कटी बातें उनके लिए कह रहा हूं. ये बातें तो दुनिया की तमाम औरतों पर लागू हो सकती हैं लेकिन उन पर नहीं. क्योंकि मैंने उन्हें एक औरत के रूप में कभी देखा ही नहीं है. जैसा मेरा एक पुरुष दोस्त होता है, वैसे ही वो भी हैं. पुरुष से तो कई बातें छिपानी पड़ती हैं परन्तु उनसे तो मैंने कभी कुछ नहीं छिपाया. क्या यही मेरी गलती है. अच्छा आप ही बताइये अगर आपको यह बता दिया जाए कि अमुक गलती नहीं करोगे तो बहुत आगे बढ़ोगे. इसके बाद भी आप वो गलती करें तो इसे क्या कहा जाएगा. सिवाए बेवकूफी के और कुछ नहीं है. मुझे भी कहा गया कि दिल कठोर करो, ज्यादा भावुक मत होना. लेकिन हम हैं कि मानते ही नहीं. सबको छोड़ दिया. घर, परिवार कुछ भी नहीं रखा साथ में. सबके लिए भावनाओं को तिलांजलि दे दी लेकिन क्या करें भाइयों उस समय इनको नहीं छोड़ पाया. अब उनको तो मेरी भावुकता का अंदाज नहीं है न. इसलिए उनकी भी गलती नहीं है. गाहेबगाहे हमें तकलीफ देती रहती हैं. देखें क्या होता है. दो में से एक ही हल निकलेगा. या तो हम हमेशा के लिए दुनिया से रुखसत हो जाएंगे, या फिर हमेशा के लिए कठोर हो जाएंगे. इतना कठोर कि हमें अपने पर भी दया नहीं आएगी. जैसे अब हमें अपने परिवार पर दया नहीं आती है. बेटी के फर्ज अदायगी जुड़ा है इसलिए ठीक है. अब देखते हैं क्या होता है?तो आज के लिए इतना ही. अभी आफिस में हूं भाई..........

1 टिप्पणी:

Unknown ने कहा…

tilanjlai mare huye kodi jaati hai.ye to aapko pata hi hoga,
to MR. KAAMDEV jab woh parai naar itani hirukawat daal rahi hai to maro goli aur apna kaam karo.aise bi kya majburi........
waise aapke blog kafi mast hai shayad kafi masti me likhe hoge.
yakinan woh padhi hogi to sach samjh kar call ya mail jarur karegii. par ek sujhav hai jabb baat kare to jara dunia ke samachar dene ke badale khud ki baate kara.