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शनिवार, 31 जनवरी 2009

निःशब्द हो गया
आज मैं निःशब्द हो गया हूं। क्या कहूं, दो दिनों से फिर पुरानी कहानी जारी है। जैसे मैं सड़क पर बैठी नहीं हूं अपने आपको ठीक करो, मेरा क्या हर समय प्यार में धोखा ही हो रहा है, मि. अंजीव और ब्रैकेट में (जी) बाकी आप समझ जाओ। अब आपको बताता हूं कि क्या हुआ। मैंने उनको एक अच्छे और सच्चे हमराज के रूप में राज की वो बातें बता दीं जो शायद एक अच्छे दोस्त को भी नहीं बताई जाती है। हुआ ये कि मैं मम्मी को देखने अस्पताल पहुंचा। बाद में कुछ और बातें हुईं ज्यादा नहीं पर थोड़ी सी जो कभी भी होनी थी। मैंने ज्यादा कुछ नहीं होने दिया। मेरी जिन्दगी का पुराना अध्याय खुद को दोहराने की कोशिश कर रहा था। तो वो बातें मैंने नए अध्याय से शेयर कर लीं। बस फिर क्या था। मेरी हमराज ने तो पूरी दुनिया ही सर पे उठा ली। अब वो क्या करें उनकी मर्जी। लेकिन ये जरूर है कि बात आगे तब बढ़ी जब बर्थ डे के एक दिन पहले रात में उनका फोन आने का था। सच में फोन आया ही नहीं। कसम खा रहा हूं मेरे भाई फोन नहीं आया। नहीं तो झूठ बोल कर क्या फायदा। वो बहुत नाराज हुईं। आपने अगर मनोचिकित्सा के विषय में कुछ पढ़ा होगा तो इतना तो जानते ही होंगे कि आरईबीटी एक थ्योरी है। रैशनल इमोशनल बिहेवियरल थेरेपी। इस थेरेपी में मैंने यह सीखा कि किस प्रकार ए-एक्टिंग इवेंट, बी, सी-कन्सीक्वेंसेस, डी और ई-इमोशनल गोल का फंडा है। यानी मैंने ये सीखा कि किसी भी घटना के होने पर उस पर तुरंत विश्वास नहीं करना चाहिए। इसलिए नहीं करता हूं। लेकिन उनके लिए तो सभी इवेंट एकदूसरे से जुड़ गए जैसे मेरा घर पर आना। अपना राज बताना। फिर दूसरे दिन फोन नहीं उठाना (उनके अनुसार) और कल फोन उठा लेना। मैं तीन रात से नींद की गोली खाकर सो रहा हूं। अब ये बात किसे बताऊं। अगर मैं खुश रहता तो क्या ऐसा करता? गोली का नाम भी बता रहा हूं- लोनाजेप .२५। तो दोस्तों आज मैंने अपने पुराने अध्याय को भी कह दिया कि ज्यादा आशा में मत रहो। मैं पुरानी बातें अभी भूल नहीं सकता। बच्चा पैदा करना तो दूर की बात है। इसलिए कोई बच्चा गोद ले लो। या किसी और से पैदा कर लो या फिर वीर्य इन्जेक्ट करा लो। मैं कोई आपत्ति नहीं करुंगा। लिख कर दे देता हूं। अब देखते हैं दोस्तों आगे क्या होता है। मगर इतना तो है कि मन की भड़ास तो निकल ही जाती है। अभी करियर पर ध्यान देना है। बाद में देखता हूं। शायद ६ माह बाद मुझे इनमें से किसी की जरूरत नहीं रहेगी। तब की तब देखेंगे। अभी तो वन डे एट ए टाइम पर हूं।
शुभ रात्रि

2 टिप्‍पणियां:

Unknown ने कहा…

kahna to bahut kuch hum chahate hai
lakin hum kah nahi paate hai.

kuch shbdo se kuch chuppi se
tumko ye samjhana chahate hai.

par ye tum na samjh paaonge
bas has ke taal jaaonge.

jab hum na rahenge tab shayad
hamare pyar ki gahrai jaan paonge.

tab tak ho chuki hogi der bahut
hum phir na lout paayenge.

tab yaad karoge tum hum ko
in vado ko in baato ko.

par hum phir bhi lout na paayenge
haan itna vada karte hai.

ek mithi madhur yaad ban jaaynege
aur tumhare vazud me bas jaayneg.

par hum phir bhi luot na aayenge
sach nahi lout paayneg.

36solutions ने कहा…

सुन्‍दर सराहनीय कार्य के लिए आपको धन्‍यवाद ।