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बुधवार, 7 दिसंबर 2011

इसलिए भाव खाती है नालायक


हम कहीं नहीं हैं उनकी जिन्दगी में 
हमें तो फुर्सत ही नहीं अपनी जिन्दगी में 
वो हमें तहजीब सिखाती हैं सरे जिन्दगी में
लेकिन वो हैं क्या हमारी जिन्दगी में
हमारी हर सांस है उनकी हमारी जिन्दगी में  
हमारी हर आस है उनकी हमारी जिन्दगी में
वो नहीं कुछ भी नहीं हमारी जिन्दगी में 
उनकी वो मुलाकात है हमारी जिन्दगी में 
वही हैं जिन्दगी हमारी जिन्दगी में 
वो नहीं तो कुछ भी नहीं हमारी जिन्दगी में..... 


इसलिए भाव खाती है नालायाक........

1 टिप्पणी:

vandana gupta ने कहा…

मान लिया ना वो नही तो कुछ नही…………बस काफ़ी है।